फ्लोटिंग आइकॉन

Wednesday, 1 April 2015

जाएँ कहाँ बच्चे .....?

                   


ॐ ॐ ॐ बापू जल्दी बाहर आएँ 

यह संकल्प हमारा 
 जल्दी दरश दिखाएँ 

भक्तों  केलिए आपने कितने कष्ट सहे 
जब जब आपको पुकारा दौड़े चले आए 

मात  पिता तुम मेरे बंधू सखा तुम्ही 

तुम बिन कौन हमारा 
 विनती सुन लीजिए मेरी 

बापू जल्दी बाहर आएँ 

ज्ञान भक्ति माय अमृत आपने हमको दिया
निंदा अपयश जैसे विष को स्वयं पिया 

बापू जल्दी बाहर  आएँ 

संस्कृति रक्षा हेतु है अवतार लिया 

दोष रहित हो कर भी 
बंधना स्वीकार किया

करुना सागर गुरुवार लीला कर ये रहे 
अंतर्यामी होकर  सबकुछ देख रहे 

बापू जल्दी बहार आएँ 
 तुमसे हम  हैं बापू और न कोई जग में 
 तुम भी दूर हुए तो 

जाएँ कहाँ बच्चे ....?
 बापू जल्दी बहार आएँ 

भक्त पुकारें बापू अब तो दरश दिखाओ 
राह  निहारें हम सब अब न तड़पाएँ 

बापू जल्दी बाहर  आएँ

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