His Divine Holiness Sant Shri Asharamji Bapu |
श्रीगुरुवन्दना
आसारामं परमसुखदं पूज्यपादं महान्तम्।
सन्तं शान्तं सकलगुणिनं ध्याननिष्ठं वरेण्यम्।
विद्याधारं प्रथितयशसं धर्ममूर्तिं धरायाम्।
वन्दे नित्यं भुवनविदितं प्राणीनां कल्पवृक्षम्।।1।।
धर्मार्थं यः सकलभुवने सत्यमार्गं प्रयाति।
सेवाभावैः शमयति सदा दैन्यदुःखं समेषाम्।
यातो यो नः चरणशरणं तस्य सर्वत्र सौख्यम्।
आसारामो वितरति गुरुर्वन्दनीयो नराणाम्।।2।।
धन्याः सर्वे नगरगृहिणो दर्शनं प्राप्य पुण्यम्।
जाता पूर्णा हृदयलसिता हार्दिकी कामना या।
श्रावं श्रावं विमलमनसा भक्तिगीतं पुनीतम्।
स्मारं स्मारं तव गुणगणं चित्तमग्नाः समे स्वे।।3।।
लोके पुण्यं प्रभवति यदा सर्वथा मानवानाम्।
साधूनां संप्रसरति तदा दर्शनं भाग्यसिद्धम्।
पूर्वपुण्यं प्रकटितमिदं सत्यमेतद् ध्रुवं नः।
ज्ञानालोकं सदयहृदयं त्वां नमामो गुरुं स्वम्।।4।।
कुर्वन्पुण्यं लसति सततं भा-रतं भारतं स्वम्।
राष्ट्र मान्यं निखिलभुवने धर्मिणामग्रगण्यम्।
यः सन्देशैः सहजदितैर्भावगीतैर्नवीनै-
र्दिव्यर्भव्यैरमृतसदृशैस्तं नुमो ज्ञानगम्यम्।।5।।
परम सुख देने वाले, शांत, सम्पूर्ण गुणों के निधि, ध्याननिष्ठ, श्रेष्ठ विद्या के आधार, प्रसिद्ध कीर्तिवाले, पृथ्वी पर धर्म की साक्षात् मूर्ति, विश्वविख्यात, समस्त प्राणियों के कल्पवृक्ष, पूज्यपाद महान् संत श्री आसारामजी बापू की वन्दना करते हैं।(1)
जो धर्म के प्रचार के लिए सम्पूर्ण विश्व में भ्रमण करते हैं, सेवाभाव से सभी के दुःख एवं दैन्य को सतत दूर करते हैं, जिनके चरण-शरण में आने वाले मनुष्य को सर्वत्र सौख्य प्राप्त होता है, ऐसे पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू सभी मनुष्य के वन्दनीय हैं।(2)
आज हम सभी नगर-गृहवासी आपके पवित्र दर्शन प्राप्त कर धन्य हैं। जो कामना हृदय में चिरलसित थी, वह पूर्ण हो गयी। विमल मन से आपकी भक्ति के पवित्र गीत सुन-सुनकर तथा आपके गुण-समूह को पुनः पुनः स्मरण कर सभी भक्तजन आनन्दमग्न हैं।(3)
संसार में जब मानवों के पूर्व पुण्यों का उदय होता है, तभी भाग्यसिद्ध संतों का दर्शन प्राप्त होता है। आज हमारा पूर्वपुण्य प्रकटित हुआ है यह सर्वथा सत्य है। अतः ज्ञान के प्रकाश, सदयहृदय अपने गुरु पूज्यपाद श्री आसारामजी बापू को हम नमन करते हैं।(4)
नित्य, दिव्य, भव्य एवं नवीन भावपूर्ण उपदेशों से जो भारत राष्ट्र को सम्पूर्ण विश्व में कीर्तियुक्त करते हुए शोभायमान हैं, ऐसे उन धार्मिकों में अग्रमण्य, ज्ञानगम्य संत श्री आसारामजी बापू हैं। हम उनको सतत नमन करते हैं।(5)
Pujya Asaram Bapuji is Brahmgyani Self Realized saint of India holding 5 crore devotees with his Spiritual Aura..Thankyou for creating a blog dedicated to his teachings ..
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