फ्लोटिंग आइकॉन

Sunday, 23 August 2015

Majoori

 जो चीज़ जितनी फालतू , उतनी मेहनत करवाती है | मिटने वाली चीज़ केलिए इतनी मेहनत मजूरी करो , फिर भी मिले न मिले , और मिल भी गया तो उसके अलग दुःख | जबकि अपना आत्मा तो मिला मिलाया है
जबकि नज़र झुकी मुलाकात कर ली 
वशिष्ठ जी बोलते हैं - हे रामजी फूल पत्ति  टहनियाँ  तोड़ने में परिश्रम है  , लेकिन अपने आत्मा को जानने में क्या परिश्रम ?

जो मिला मिलाया है , उसको छोड़ के  उसको पीठ करके भाग रहे हैं  दूसरी चीज़ के लिए |


जो चाहते हैं , वह होता नहीं
जो होता है , वह भाता नहीं
जो भाता है , अभागा टिकता नहीं 



मुफ्त का माल मिलता है , तो कद्र तो होती नहीं |  जिनको कौड़ियाँ समझ रहे हैं , हैं वे हीरे से भी आगे

जो करना है वह तो करते नहीं। .... 
जहाँ पुरुषार्थ करना है वह तो भाग्य पर छोड़ दिया , जो प्रारब्ध वेग से स्वाभाविक मिल रहा है उसके लिए मर रहे हैं चिंता करके 




भगवान वशिष्ठ जी रामजी को कहते हैं , "एक तिनका मिटाना हो तभी भी परिश्रम करना पड़ता है ,तो यहाँ तो  जन्म जन्म के संस्कार त्रिलोकी का आकर्षण मिटाना है इसलिए दीर्घ काल के संस्कारों को मिटाने केलिए दीर्घअभ्यास की ज़रूरत है "


ॐ ॐ गुरूजी ॐ 

Saturday, 15 August 2015

मेरे बापूजी खाली तीसरी पढ़े हैं !!




पुराने सत्संगी जो हमेशा आते रहते है शिविरों में, उनको पता है कि बापूजी कई बार बोलते रहते है “हम तो खालीतीसरी क्लास पढ़े है” , “हम तो भाई खाली तीसरी पढ़े है” | अब तीसरी पढ़े है उसकी बातें आज मैं आपको बताना चाहता हूँ | तीसरी पढ़े है मतलब:
ज्यों केले के पात पात में पात,
त्यों सदगुरु की बात बात में बात |

भक्ति, योग और ज्ञान | भक्तिमार्ग, ज्ञान मार्ग, निष्काम कर्मयोग का मार्ग | इन तीनों से जो विभूषित है,
कोईकोई महापुरुष भक्ति मार्ग से ईश्वर को पाये है, कोई ज्ञान मार्ग से पाये है, कोईनिष्काम कर्म योग के मार्ग से पाये है पर अपने गुरुदेव के पास ये तीनों है |इसलिये ज्ञानमार्गी साधकों को भी लाभ मिलता है जो भक्तिमार्गी होते है उनको भी लाभमिलता है और जो निष्काम कर्ममार्गी होते है, उनको भी लाभ होता है | सबको लाभ होताहै |
सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण | इन तीनोसे पार ! तीसरी पढ़े है ! बापूजी नहीं कहते है ! तीनों से पार ! देखो अब आपको एक बातबताऊँ, जनम और मरण क्यों होता है ? चौरासी लाख योनियों में जीव क्यों जाता है ?
जाना पड़ता है ये बात पक्की है | गीता में लिखा हुआ है इसमें कोई ना नहीं कह सकता |ना बोले तो कोई बात नहीं, जायेगा तब पता चल जायेगा | चार पैर वाला बनेगा तब पता चलजायेगा | तब झक मार के मानेगा पर तब गीता नहीं पढ़ सकेगा | तब माला नहीं घुमा सकेगा| तब दीक्षा लेने नहीं बैठ सकेगा | जो लोग बोलते है न कि अरे ये सब बाते है, कुछनहीं है इन सब बातों में, नहीं माना करो, सब बकवास है, ढकोसला है | भगवान ऐसे लोगोंके लिए बोलते है तू इधर आ मैं तुझे दिखाऊंगा क्या बकवास है क्या ढकोसला है ? सत्वगुण,तमोगुण, रजोगुण, इनमे जो उलझते रहते है उसके कारण जनम मरण होता है | कोई कोईसत्वगुण में भी उलझते है कि मैं चार बजे उठ जाता हूँ | ये लोग तो आलसी है छः बजेउठते है | छः बजे तक तो मैं मेरा नियम पूरा कर लेता हूँ | पर मेरे दूसरे साथी है न! सब आलसी है, आठ बजे तक नियम पूरा होता है उनका | तो ये क्या है | सत्वगुण में भीबंध गए कि मैं नियम करता हूँ चार बजे उठकर | ये सत्वगुण में बंधना है पर गुरुदेवचाहते है, गुरुदेव स्वयं तो पार तीनों गुणों से है ही पर अपने साधकों को भी तीनोगुणों से पार ले जाना चाहते है |

तीसरी बात प्रकृति में तीन दोष है : आधि, व्याधि और उपाधि | आधिमाने लोगों में देखो मन का रोग, टेंशन, चिंता | व्याधि शरीर का रोग | उपाधि मैंफलाना ! मैं फलाना ! मैं फलाना ! पर गुरुदेव तीनों से पार ! आधि व्याधि उपाधि औरअपने साधकों को भी बापू आधि, व्याधि और उपाधि तीनों से पार ले जाना चाहते है | नमन में आधि रहे न शरीर में व्याधि रहे न मैं बड़ा अफसर हूँ ! मैं बड़ा अधिकारी हूँ !मैं बड़ा सेठ हूँ ! इन सबसे पार ले जाना चाहते है |

चौथी बात कि तीन मुख्य पाश है एक तो द्वेष, दूसरा लोभ और तीसरा मोह| ये तीन जिसमे बढते जाते है उसका मन चंचल बना रहता है और ये तीन जिसमे घटतेजाते है उसका मन स्थिर होता जाता है और ये तीन जिसमे है या तीन में से एक भी है तोसमझो मन में पशुता आ गयी है | द्वेष पशुता है, मोह पशुता है, लोभ पशुता है | मनमें पशुता आई तो शरीर भी पशु का मिलने ही वाला है | समझो अब तैयारी है | मन में आ गयी न तो अब तन में भी आएगी | गुरुदेवद्वेष, लोभ और मोह इन तीनों से हमको भी पार ले जाना चाहते है |


पांचवी बात तीन लोक है : इस लोक में कुछ सुखभोग के साधन है फिर मरने के बाद परलोक में जो कुछसुखभोग के साधन है, स्वर्ग आदि ऊँचे लोकों में और तीसरा व्यक्ति का अपना मनः लोकभी होता है | काल्पनिक सृष्टि | जैसे स्वर्ग के बारे में सुना है तो सोचते है कि दानपुण्य करो मरने के बाद स्वर्गलोक मिलेगा पर गुरुदेव के साधक स्वर्ग की भी इच्छानहीं करते | क्यों? उससे भी पार जाना है |

छठी बात शरीर की तीन प्रकृतियाँ है: जो मन पर असर डालती है वात, पित्त और कफ | तुलसीदासजी ने मानस रोगों में कहाहै:
काम वात कफ लोभ अपारा |
क्रोध पित्त नित छाती जारा ||
ये आदमी को सताते रहते है | गुरुदेव की कृपा से और उनके बताये हुए उपायों से शरीर में भी वात, पित्त, कफ का संतुलन रहताहै और इन तीनों की विकृति से उत्पन्न जो रोग है उसपर भी नियंत्रण हो जाता है | वात,पित्त, कफ का बेलेंस रहा तो इन तीन का भी संतुलन रहा |


फिर सातवीं बात की सर्दी गर्मी और बरसात तीन ऋतुएँ है न ! इन तीनों ऋतुओं में भीसम रहो , सर्दी में भी सम रहो, कई लोग बोलते है कि सर्दी की सीजन में तो ठिठुरतेरहो… स्वेटर पहनो, कम्बल ओढ़ो, गरम पानी करो.. ये करो… वो करो… झंझट बहुत है| कोई बोले नहीं नहीं ! गर्मी की ऋतु मेंबहुत परेशानी है, कोई बोले बरसात की ऋतु में परेशानी है पर गुरुदेव कहते है तुम इनतीनो के साक्षी बनो और तीनों में सम रहो और पार हो जाओ |
आठवी बात गुरुदेव चाहते है हमारे जीवन में भी ध्याता, ध्यान और ध्येय! दृष्टा, दर्शन और दृश्य ! कर्ता, करण और कर्म ! प्रमाता,प्रमाण और प्रमेय ! भक्ति, भक्त और भगवान ! इन तीनों की त्रिपुटी सेबापूजी पार है और हमको भी पार ले जाना चाहते है | ऐसा नहीं कि बस मैं ध्यान करता रहूँ तो किसका ? ध्यान किया गया, ध्याता करनेवाला, ध्येय जिसका कर रहे है तो ये तीन तो बने रहे | गुरुदेव चाहते है कि ये तीन नरहे | अद्वैत का अनुभव हो जाये |

भूत, भविष्य और वर्तमान नौवी बात | जैसेगुरुवन्दना में गाते है न“जय काल अबाधित…” कालका प्रभाव जिनके ऊपर नहीं है | कालातीत तत्व में जो जगे है, गुरुदेव हमको भी उसमेले जाना चाहते है | न भूतकाल की बातें सोचते रहें न वर्तमान में कुछ न भविष्य कीकल्पना | इससे पार हो जाएँ ताकि वर्तमान भी बढ़िया रहे, भविष्य भी बढ़िया रहे | इसमें उलझे न रहे कि मेरा वर्तमान अच्छा हो ताकिमेरा भविष्य भी अच्छा हो जाये | खाली इसी में ही उलझे नहीं रहना है, इससे पार हो जाओकालातीत तत्व में गुरुदेव हमें जगाना चाहते है |

और तीसरी पढ़े है का एक ये भी है कि गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुगुरुर्देवो महेश्वर… ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का जो……. वहां शब्दनहीं जा सकते….. शब्द वहाँ छोटे पड़ जाते है | इस प्रकार गुरुदेव हमें इन तीनों सेले जाना चाहते है पार ! सोचो कितनी ऊँची उपलब्धि गुरुदेव कराना चाहते है !


भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी की मिठाई


पूज्य बापू जी का सदगुरु संस्मरण
मेरे गुरु जी का आश्रम नैनिताल में था। एक बार गुरु जी के साथ सामान लेकर एक कुली आश्रम में आया।
गुरु जी ने कहाः "अरे आशाराम !"
मैंने कहाः "जी साँईं !"
"रस्सी लाओ। इसको बाँधना है।"
"जी साँईं लाता हूँ।"
गुरु जी अपनी कुटी में गये और मैं रस्सी लाने का नाटक करने लगा। वह कुली तो घबरा गया। जो दो रूपये लेने को बोल रहा था, वह रुपये लिए बिना ही चले जाने का विचार करने लगा। मैंने उसे रोका और कहाः "अरे, खड़ा रहा।"
कुली ने पूछाः "भाई ! क्या बात है ?" मैंने कहाः "अरे भाई ! खड़ा रहा। गुरु जी ने बाँधने की आज्ञा दी है।"
इतने में गुरु जी आये और कुली से कहने लगेः "इधर आ... इधर आ ! ले यह मिठाई। खाता है कि नहीं ? नहीं तो वह आशाराम तुझे बाँध देगा।"
उसने तो जल्दी-जल्दी मिठाई खाना शुरु कर दिया। साँईं बोलेः "खा, चबा-चबाकर खा। खाना जानता है कि नहीं ?"
उसने कहाः "बाबा जी ! जानता हूँ।"
साँईं ने कहाः "अरे आशाराम ! यह तो खाना जानता है। इसे बाँधना नहीं।"
मैंने कहाः "जी साँईं !"
साँईं ने पुनः कहाः "आशाराम ! यह तो मिठाई खाना जानता है। चबा-चबाकर खाता है।" फिर उसकी तरफ देखकर बोलेः "यह मिठाई घर ले जा। दो दिन तक थोडी-थोड़ी खाना। मिठाई कैसी लगती है ?"कुली ने कहाः "बाबाजी ! मीठी लगती है।" साँईं बोलेः "हाँ... लीलाशाह की मिठाई है। सुबह में भी मीठी और शाम को भी मीठी, दिन को भी मीठी और रात को भी मीठी। लीलाशाहजी की मिठाई जब खाओ तब मीठी।"कुली भले अपने ढंग से समझा होगा परंतु हम तो समझ रहे थे कि पूज्य श्री लीलाशाहजी बापू का ज्ञान जब विचारो तब मधुर-मधुर। ज्ञान भी मधुर और ज्ञान देने वाले भी मधुर तो ज्ञान लेने वाला मधुर क्यों न हो जाय ?
ज्यों केले के पात में, पात-पात में पात।
त्यों संतन की बात में, बात-बात में बात।।



Monday, 3 August 2015

Bapuji's got swag





Reporter - In a class 3 book , you have been called a great saint .You have been categorized with great saints  like Guru Nanak etc and declared great .Is this correct ?

Pujya Shri - Is it wrong ?

#Swag tends to infinity

Such situational awareness , spontaneity , coolness , calmness  are only seen in Brahmgyani Self Realized saints .

Said everything without saying anything .


There are & will be many such anecdotes , will be compiling here it self.





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Jodhpur walon ka atta khatam hogya kya
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Bapu film bani hai apko nirdosh bataya  gaya hai .
A documentary claims you are innocent

Bapuji - to wo to hain hi

So am I

Media -Do you beleive in Judiciary

Wo to karna hi padega

That you have to keep.

Cuteness overload 

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Media : Ashirwaad rakhna Bapu ......



Abe moron , Brahmgyani ki upasthiti matr hi ashirwaad hai .The mere presence of a Self Realized Brahmjnani is a boon in itself .

https://www.youtube.com/watch?v=D82pz9NY6gM

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पूज्य बापूजी : भगवान् सबसे ज्यादा प्यार करते है जो भगवान् के स्वरुप को जानता है और सबसे ज्यादा भगवान उस पर नाराज होते हैं जो जानते हुए भी अधर्म करता है l बचपन में किया हुआ भक्ति पर भगवान् जल्दी राजी होते है l Ⓜ मीडिया : बापू कल कोर्ट का फैसला आने वाला है क्या कहेंगे ? पूज्य बापूजी : जो भी होगा भगवान की मर्जी से अच्छा ही होगा l Ⓜ मीडिया : आपको क्या उम्मीद है ? कल के लिए क्या उम्मीद है ? पूज्य बापूजी : कल के लिए उम्मीद कल वाले ही जाने l Ⓜ मीडिया : आप क्या कहेंगे ? पूज्य बापूजी : हम हर हाल में मस्त हैं l जो भी होगा अच्छा होगा l Ⓜ मीडिया : कितना विश्वास है आपको ? पूज्य बापूजी : बहुत, ईश्वर पे विश्वास है l

 Asha chhod nairashvalambit .........
Boarding without help

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Bapuji screws the media




Reporter -Sahare ki zarurat hai  (Bapuji you need support)

Bapuji - kisko (Who)

Reporter- Apko (You)

Bapuji-Sahare ki zarurat kya , sahara sharir ko zarurat hai , mere ko kya zarurat hai (Who needs support .Body needs a little , 'I'  dont need it )

Reporter - Kitna dukh ho raha hai (How much sad are you feeling)

Bapuji-Kisko dukh ho raha hai (who is feeling sad)

Reporter - apki zamanat nahi hui (you didnot get bail)

Bapuji - kisko ? mere ko dukh ho raha hai ??  (you think I m feeling sad ?)
LMAO

Badi se Badi apda sehne ki taiyyari mein rehna kya ho jaega


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